







Welcome to Sparsh Himalaya
अनादि काल से हमारे ग्रंथो में , हमारे गीतों मैं हिमालय को भारत का मुकुट और प्रहरी उपनाम से पुकारा गया है I हिमालय की गोद में साहित्य, भारतीय संस्कृति ने न केवल जन्म लिया है पर इसे पुष्पित पल्लवित होने का मौका भी मिला। समाज शास्त्री और वैज्ञानिक सामान रूप से हिमालय को एक अद्भुत प्रयोगशाला के रूप में जानते हैं उस पर अध्ययन करते हैं I यह हिमालय ही है जो अपने हज़ारों हिमनदों का स्रोत होने से करोड़ों लोगो की क्षुधा और प्यास को दूर करता है Iहिमालय के ऊपर और वैज्ञानिक विश्लेषण करने से पता चलता है कि इसमें पास अपार खनिज, वन एवं अपार जल सम्पदा है I यहाँ की मानव सम्पदा का लोहा पूरा विश्व मानता है । आज भी भारत में शीर्ष पदों पर आसीन हिमालय के लोग माँ भारती की सेवा मे तत्पर हैं |
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Our Projects
लेखक कुटीर
लेखक गाँव की मूल परिकल्पना को यथार्थ के धरातल पर उतारते ‘लेखक कुटीर’ इस परिसर का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनाओं को सहेजते आवासीय भवन होंगे। जीवन के तमाम कड़वे-मीठे अनुभवों और झंझावतों को स्वयं में समेटे ऐसे वयोवृद्ध लेखकों के लिए यह परिसर स्वयं में स्नेह और आशीष की छाँव में स्थापित एक ऐसा स्थान होगा जहाँ प्रतिक्षण मानवता की सेवा चरितार्थ होगी। विश्व के हिमालयीय सरोकारों से जुड़े प्रसिद्ध लेखकों, साहित्य साधकों एवं कालाकारो के नाम से ‘लेखक कुटीर’ नाम की तख्ती सजी होगी। प्रकृति के आँचल में नाना प्रकार के फूलों की सुगन्धित खुशबू पूरे परिसर को सकारात्मक ऊर्जायुक्त तरंगों से महका देगी। अध्ययन, लेखन और जीवन को जीवंत बनाने के लिए ‘लेखक कुटीर’ में निवास कर रहे लेखकों को यथासम्भव सुविधाएँ उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा।
हिमालयी रसोई
माँ अन्नपूर्णा की असीम कृपा बरसाती ‘हिमालयी रसोई’ में हिमालय अंचल में उत्पादित पूर्णरूपेण शुद्ध जैविक उत्पादों से निर्मित आहार की व्यवस्था रहेगी। उत्तराखण्ड हिमालय के स्वादिष्ट एवं पौष्टिक पकवानों जैसे मण्डवे की रोटी, मक्के की रोटी, पल्लर, झंगरियाल से बने पकवान, तोर की दाल, कुलथ की दाल, कण्डाली का साग, पंचमढ़ी दाल, हींग-जख्या के तड़के की सब्जियाँ, लाल चावल,कुमाउँनी चटनी इत्यादि के रसास्वाद का आनन्द प्राप्त होगा। गुड़ की चाय और शिलाजीत की चाय की खुषबू हिमालयी रसोई की ओर सभी को खींच लायेगी, जो तन के साथ मन को भी स्फूर्ति प्रदान करेगी। हिमालयी पुष्पों के अर्क से बना शीतल पेय शीतलता के साथ तमाम व्याधियों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ायेगा।
गंगा संग्रहालय
अनादि काल से हमारे ग्रंथो में , हमारे गीतों मैं हिमालय को भारत का मुकुट और प्रहरी उपनाम से पुकारा गया है I हिमालय की गोद में साहित्य, भारतीय संस्कृति ने न केवल जन्म लिया है पर इसे पुष्पित पल्लवित होने का मौका भी मिला। समाज शास्त्री और वैज्ञानिक सामान रूप से हिमालय को एक अद्भुत प्रयोगशाला के रूप में जानते हैं उस पर अध्ययन करते हैं I
हिमालय संग्रहालय
अनादि काल से हमारे ग्रंथो में , हमारे गीतों मैं हिमालय को भारत का मुकुट और प्रहरी उपनाम से पुकारा गया है I हिमालय की गोद में साहित्य, भारतीय संस्कृति ने न केवल जन्म लिया है पर इसे पुष्पित पल्लवित होने का मौका भी मिला। समाज शास्त्री और वैज्ञानिक सामान रूप से हिमालय को एक अद्भुत प्रयोगशाला के रूप में जानते हैं उस पर अध्ययन करते हैंI
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